लोक सभा चुनाव के परिणामों ने उत्तर प्रदेश के राजनीती में हलचल पैदा कर दी है। जिस प्रकार से समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने अपना प्रदर्शन किया उसने बी जे पी में शीत युध प्रारम्भ हो गया है। अगर मूल्याङ्कन किया जाय तो देखा जायेगा की केशव प्रसाद मौर्या और दिनेश शर्मा ने जिस प्रकार योगी आदित्य नाथ को पीछे लाने के लिए अमित शाह के साथ मिलकर खेल खेला वो अमित शाह पर ही उल्टा पड़ गया।
लोकसभा चुनाव में जो भी टिकट बांटा गया वो सिर्फ और सिर्फ अमित शाह के जिम्मेदारी पर बांटा गया जबकि योगी ने कई टिकटों के लिए मना किया था लेकिन अमित शाह एन्ड कंपनी ने नहीं माना और हार का मुंह देखना पड़ा अब ठीकरा योगी पर फोड़ने के लिए अमित शाह ने पूरी रणनीति बना ली थी और केशव प्रसाद मौर्या खुद को अगले मुख्यमंत्री के रूप में देखने लगे थे।
अगर मूल्याङ्कन किया जाय तो योगी आदित्यनाथ का कोई भी कुसूर नहीं दिखता क्योंकि उत्तर प्रदेश में लोकसभा के चुनाव के सारे प्रबंधन की जिम्मेदारी अमित शाह ने उठा रखी थी। योगी आदित्य नाथ को एक बहुत बड़ा वर्ग पसंद करता है और उनकी छवि सशक्त प्रसाशक के रूप में है। लोग उनमे अगला प्रधानमंत्री देखने लगे थे क्योंकि जो मोदी का जो चाहने वाला वर्ग था वो कहि न कही योगी आदित्यनाथ में अपने सपनो का भारत देखने लगा और यही बात अमित शाह और मोदी को राश नहीं आ रही।
अमित शाह ने हार संभव प्रयाश किया की योगी आदित्यनाथ को उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री के पद से हटा दिया जाय और कोई पोपट मुख्यमंत्री बना दिया जाय लेकिन योगी आदित्यनाथ का आक्रामक रूप ४ जून के बाद और बढ़ गया और योगी को बी जे पी के दिल्ली की दूसरी लॉबी का संरक्षण मिलने के बाद योगी और भी ज्यादा आक्रामक होने लगे और कई अधिकारयों के तबादले करवा दिए जो की दिल्ली की मेहरबानी से बने हुए थे।
मुख्य सचिव अपने मनपसंद के आदमी को बनाने के बाद योगी ने जनता को एक सन्देश दे दिया की वो दिल्ली के इशारे पर काम नहीं करने वाले। इसी बीच गुजरात के कई कंपनी को ब्लैक लिस्ट में डालने के बाद अमित शाह और कंपनी को एक सन्देश दे दिया की वो अब न झुकने वाले।
अगर लोक सभा चुनाव परिणामो पर नज़र डाले तो एक मुद्दा यह भी रहा की चुनाव बाद योगी को हटा दिया जायेगा जिसे समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी ने अपने लाभ के रूप में प्रयोग दिया और लाभ लिया। बी जे पी के कार्यकर्ताओं ने भी हाथ खड़े कर दिए की जब टिकट अमित शाह एन्ड कम्पनी ने बांटा और योगी की सहमति नहीं ली तो अब चुनाव भी वही जिताए और वो घर से ही नहीं निकले जिसका परिणाम ये रहा की बी जे पी को भारी नुकसान हुआ।
वर्तमान समय में उत्तरप्रदेश की सियासत में सियासी गर्मी बहुत है और ए आगे भी बढ़ने वाली है लेकिन एक तरफ मोदी नितीश कुमार और चंद्रबाबू में फंसे है क्यों की दोनों पलटू राम है इसलिए मोदी कोई ऐसा काम नहीं करना चाहते की उत्तर प्रदेश की रानीतिक आग में उत्तराखंड भी स्वाहा हो जाये क्योंकि उप चुनावो में उत्तराखंड में बदरनाथ और मंगलोर में मिली हार ने बी जे पी को सोचने पर मजबूर कर दिया है की अगर योगी से पन्गा लिया मतलब सब स्वाह।
अविनाश मणि